वृत्त छंद की परिभाषा उदाहरण सहित,वृत्त छंद हिंदी काव्यशास्त्र का एक महत्वपूर्ण प्रकार है जिसमें निश्चित मात्राओं और लय का पालन किया जाता है। इसे अंग्रेजी में “metrical verse” कहा जाता है। वृत्त छंद में वर्णों की संख्या और उनकी लघु (हल्की) और गुरु (भारी) मात्रा का विशेष ध्यान रखा जाता है। यह छंद कविता को एक निश्चित ढांचा और ताल देता है, जिससे कविता सुनने और पढ़ने में संगीतात्मक और आनंददायक बनती है।
वृत्त छंद की परिभाषा उदाहरण सहित
वृत्त छंद के उदाहरण
1. दोहा:
दोहा छंद में दो पंक्तियाँ होती हैं, प्रत्येक पंक्ति में 13-11 मात्राएँ होती हैं। यह छंद अत्यंत लोकप्रिय और प्राचीन है।
उदाहरण:
संतोषी सदा सुखी, जो लोभी दुख पाय।
धीरज धरम मित्र अरु, नारी विपत्ति में जान॥
2. चौपाई:
चौपाई छंद में चार पंक्तियाँ होती हैं, प्रत्येक पंक्ति में 16-16 मात्राएँ होती हैं। यह छंद तुलसीदास की “रामचरितमानस” में बहुतायत में मिलता है।
उदाहरण:
रामचरितमानस में, तुलसीदास ने गाया।
चौपाई छंद में, राम कथा को सजाया॥
3. सोरठा:
सोरठा छंद में दो पंक्तियाँ होती हैं, प्रत्येक पंक्ति में 11-13 मात्राएँ होती हैं। यह छंद भी दोहा की तरह ही लोकप्रिय है।
उदाहरण:
मधुर मनोहर वचन, जो कछु कहत सुजान।
झूठे को झूठे मिले, सांचे को भगवान॥
4. रोला:
रोला छंद में चार पंक्तियाँ होती हैं, प्रत्येक पंक्ति में 24 मात्राएँ होती हैं। यह छंद भी बहुत प्रभावी होता है।
उदाहरण:
सूरज की गर्मी से, जलते हुए तन को।
मिल जाए तरुवर की, छाया सुखदाई॥
वृत्त छंद के नियम
-
मात्रा गणना: प्रत्येक पंक्ति में निश्चित मात्राओं का पालन किया जाता है।
-
लघु और गुरु वर्ण: लघु (।) और गुरु (॥) मात्राओं का सही अनुपात में उपयोग किया जाता है।
-
लय और ताल: कविता में लय और ताल का विशेष ध्यान रखा जाता है।
वृत्त छंद का महत्व
-
संगीतात्मकता: वृत्त छंद कविता को संगीतात्मक बनाता है, जिससे कविता सुनने में आनंददायक होती है।
-
संरचना: वृत्त छंद कविता को एक निश्चित ढांचा और संरचना प्रदान करता है।
-
रचनात्मकता: वृत्त छंद का सही उपयोग कवि की रचनात्मकता को बढ़ाता है और उसे एक निश्चित दिशा में लिखने के लिए प्रेरित करता है।
वृत्त छंद का सही उपयोग कविता को प्रभावी, आकर्षक और संगीतात्मक बनाता है। यह कवि की भाषा की समझ और उसकी रचनात्मकता को भी दर्शाता है।
Read more***