या कुन्देन्दुतुषारहारधवला

pathgyan.com में आपका स्वागत है, माता सरस्वती स्तुति, मित्रों बच्चों को रोज माता के फोटो या मूर्ति के सामने ये स्तुति पाठ करना चाहिए, लाभ होता है.

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला

 

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला

 

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता। या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥ या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता। सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥१

अर्थ -वह जो चंदन की सुगंध से युक्त है, चंदन के तुषार से धवला हुई, जो शुभ्र वस्त्र से आवृत है, जिनके हाथ में वीणा, कण्ठ में मणि और हाथ में कमण्डलु है, जो श्वेत पद्मासन पर आसीन है॥

जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु, और शंकर जैसे देवताओं ने सदा पूजा है, वही श्री सरस्वती भगवती हमें सब प्रकार से रक्षा करें॥1

 

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्। वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌॥ हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्‌। वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥

अर्थ – वह जो सारे विचारों में शुद्ध और परम है, जो जगत् में व्याप्त है, जो वीणा, पुस्तक, और कमण्डलु धारण करती है, और भयहारिणी है, जो हस्त में स्फटिक माला धारण करती है और पद्मासन पर विराजमान है, उस परमेश्वरी भगवती शारदा को मैं वंदन करता हूँ, जो बुद्धि प्रदान करने वाली है॥

 

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