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गंगा जमुना सरस्वती संगम
इलाहाबाद में प्रयागराज नामक तीर्थ स्थान पर, तीन नदियों का संगम है गंगा जमुना सरस्वती, पूरे विश्व में 3 नदियों का अनोखा संगम इसी जगह पर देखने को मिलता है.
यह जगह पुरातन काल से प्रसिद्ध है रामायण और महाभारत में भी इस जगह का वर्णन आय है।
हमारे पुराण ग्रंथों के अनुसार समय-समय पर जब त्यौहार या मुहूर्त आते हैं उस समय देवता भी त्रिवेणी संगम पर नहाने को आते हैं.
गंगा जमुना सरस्वती तीन नदियों के मिलने से इसको त्रिवेणी संगम कहां गया.
त्रिवेणी संगम में एक ही जगह में आपको पाने की गहराई अलग-अलग देखने को मिलती है जैसे गंगा गंगा जी के पानी में अलग यमुना जी के पानी में अलग सरस्वती जी के पानी में अलग.
कलयुग में भी गंगा जमुना सरस्वती त्रिवेणी संगम का नहान का पुण्य प्राप्त होता है, और भगवान राम ने अपने वनवास के समय त्रिवेणी संगम पर स्नान किया था और जब भरत जी राम जी को खोजने को निकले थे उस समय उन्होंने भी सभी ऋषि-मुनियों के साथ त्रिवेणी संगम पर स्नान किया था.
महाभारत काल में, वर्णन आता है कि इसी समय सरस्वती नदी लुप्त हो गई थी सरस्वती नदी के लुप्त होने का कारण अलग-अलग प्रकार से, इनका लुप्त होने के कारण अलग-अलग वर्णन आता है.
सरस्वती नदी लुप्त होने के बाद केवल त्रिवेणी संगम पर दिखाई देती है, और उसके बाद तीनों नदियां आपस में मिलकर समुद्र में जाकर मिल जाती हैं.
वैज्ञानिकों ने भी सिद्ध किया है कि सरस्वती नदी जमीन के अंदर अंदर बहती है, लेकिन इसको केवल अंदाजा लगाकर बताया गया है कि इस जगह पर है सही सही लोकेशन कोई ठीक से नहीं बता पाता।
इस प्रकार आप जान गए होंगे कि गंगा जमुना सरस्वती हिंदुओं का एक पवित्र धार्मिक स्थल रहे हैं जहां पर स्नान करने पर पुण्य प्राप्त होता है.
यहां पर अमृत की बूंदे गिरी थी, और जिस काल में जिस क्षेत्र में अमृत की बूंदे गिरी थी उसी समय यहां पर कुंभ का मेला लगता है, और माना जाता है कि पूरा पानी अमृतमय में हो जाता है.
इसलिए यहां पर समय-समय पर कुंभ मेला लगाकर साधु सन्यासी और सांसारिक सभी स्त्री-पुरुष स्नान करने आते हैं जिससे वह तन और मन से अपने पापों को धो कर अपनी सद्गति कर सकें।
गंगा जमुना सरस्वती संगम में तीनों माताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और तीनों नदियों का पवित्र जल व्यक्ति के पापों को कम करता है.
कलयुग में हिमालय में जो छुपे हुए ऋषि मुनि है जो लोग हजारों साल से आज भी तपस्या कर रहे हैं वह लोग भी त्रिवेणी संगम में स्नान करने आते हैं लेकिन गुप्त रूप से लेकिन उनको कोई जान नहीं पाता।
ऐसे पुरातन ऋषि मुनि भी यहां पर आज भी नहाने आते हैं उनके ही अनुसार देवता भी समय-समय पर यहां पर स्नान करने आते हैं.
गंगा जमुना सरस्वती संगम पर कभी भी स्नान कर सकते हैं और यहां पर हर समय स्नान का पुण्य फल प्राप्त होता है क्योंकि भगवान राम जी ने अपने वनवास के समय स्नान किया था तभी से उसका महत्व बहुत ज्यादा और बढ़ गया और यहां पर है कभी भी स्नान करने का पुण्य फल प्राप्त होगा ऐसा ऋषि मुनियों की वाणी है.
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