pathgyan.com में आपका स्वागत है, हावड़ा से कालीघाट का रास्ता और अन्य जानकारी (howrah se kalighat),कुछ इम्पोर्टेन्ट जानकारी जो आप लोगों के लिए उपयोगी होगी।
हावड़ा से कालीघाट का रास्ता ट्रेन से
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हावड़ा से कालीघाट तक ट्रेन से जाने के लिए आपको हावड़ा रेलवे स्टेशन से मेट्रो स्टेशन तक जाना होगा पैदल दूरी या ऑटो रिक्शा से भी जा सकते हैं पास में ही है, वहां से आपको कालीघाट के लिए मेट्रो ट्रेन चलती रहती हैं आसानी से आपको मेट्रो ट्रेन मिल जाएगी
टिकट का रेट लगभग 15 से 20 रुपए होता है जो समय के साथ चेंज होती रहती है, मेट्रो ट्रेन आपको ज्यादा आसान पड़ेगा और सुविधाजनक भी.
कालीघाट का रास्ता ट्रेन से जाने पर
हावड़ा से कालीघाट तक ट्रेन से आपको जाने के लिए, आप लोकल ट्रेन पकड़ सकते हैं, और ट्राली गंज रेलवे स्टेशन पर उतर सकते हैं इसमें लगभग 20 से 25 मिनट का समय लगता है.
TRAIN NO | NAME |
30411 | B.B.D Bag – Sealdah TIME 10.52 |
30122 | Naihati – Ballygunge TIME 16.25 |
30451 | B.B.D Bag – Baruipur TIME 18.47 |
हावड़ा से कालीघाट बस
आपको हावड़ा रेलवे स्टेशन से बस स्टैंड तक जाने के लिए ऑटो रिक्शा आसानी से प्राप्त हो जाएगा आप थोड़ी ही दूर पर पैदल भी जा सकते हैं, वहां से आप कालीघाट के लिए बस लगातार जाती रहती है बस का किराया₹30 से लेकर₹50 तक हो सकता है किराया बदलते रहता है जैसा आप सभी जानते हैं
यहां से अलग-अलग बसे कालीघाट की ओर जाती हैं वहां पर जाने पर आपको कोलकाता परिवहन का बस आसानी से मिल जाएगा और वह लोग आपका अच्छे से मार्गदर्शन कर देंगे, समय के अनुसार बस का समय बदलता रहता है इसलिए यहां पर समय नहीं लिखा जा रहा है यहां से बस नंबर 117 है, आपको जाने में 20 से 30 मिनट लग सकते हैं
ऑटो रिक्शा या कैब से
वहां से लगभग कालीघाट की दूरी 15 किलोमीटर है आप ऑटो रिक्शा और ऑनलाइन कैब भी बुक कर सकते हैं जो आपको ज्यादा सुविधाजनक होगा. ऑटो का रेट ३०० रुपये तक होता है और
कैब का रेट 500 से 600 रुपये तक होगा।
किसी भी नई जगह में आपको किसी प्रतिष्ठित कंपनी का कैब आदि ही बुक करना चाहिए
अन्य जानकारी
हावड़ा से कालीघाट जाने का कुछ सुझाव
हावड़ा से कालीघाट लगभग 15 किलोमीटर दूर है, यहां पर पूरे देश और विदेश के यात्री समय-समय पर आते रहते हैं यदि आप यहां कभी भी जाएं और आपकी ट्रेन में हावड़ा स्टेशन में रात में रुके, आपको कोशिश करना चाहिए कि देर रात को या ज्यादा रात हो गया है तो स्टेशन में ही रुक जाएं या स्टेशन के आसपास ही रुक जाए कहीं दूर आदि न जाए, यदि आप हावड़ा में नए है, तब आपको दिन में सफर करना चाहिए, आजकल आधुनिक समय में लोग इंटरनेट से आधी रात को भी कैब बुक कर लेते हैं लेकिन नई जगह में ऐसा नहीं करना चाहिए बहुत इमरजेंसी आने पर ही ऐसा करना चाहिए.
कालीघाट मंदिर कितने बजे खुलता है?
सुबह 4 बजे लोगो के लिए दर्शन 5. 30 से शुरू होता है.
कालीघाट मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, कोलकाता के कालीघाट मंदिर में माता सती के दाहिने पैर का अंगूठा गिरा था, जिसके कारण इसे शक्तिपीठ कहा जाने लगा। यह कहा जाता है कि शक्तिपीठ वे स्थान हैं जहां माता सती की मृत देह के अंग गिरे थे। ये पवित्र स्थान न केवल भारत में हैं, बल्कि बांग्लादेश और नेपाल में भी स्थित हैं। कोलकाता में कालीघाट मंदिर का निर्माण सन् 1809 में हुआ था और इस मंदिर का पूरा निर्माण शहर के धनी व्यापारी सबर्ण रॉय चौधरी के सहयोग से किया गया था।
कोलकाता के कालीघाट मंदिर में देवी काली की प्रचण्ड रूप की प्रतिमा स्थापित है। इस प्रतिमा में देवी काली को भगवान शिव की छाती पर पैर है, और उनके गले में नरमुंडों की माला है। उनके हाथ में कुछ फरसा और कुछ नरमुंड हैं, कमर में भी कुछ नरमुंड बंधे हुए हैं। उनकी जीभ बाहर निकली हुई है और जीभ से कुछ रक्त की बूंदें टपक रही हैं। गौरतलब है कि प्रतिमा में मां काली की जीभ स्वर्ण से बनी हुई है।
कोलकाता का कालीघाट मंदिर पहले हुगली नदी (भागीरथी) के किनारे स्थित था, लेकिन समय के साथ भागीरथी दूर होती चली गई और अब कालीघाट मंदिर आदिगंगा नहर के किनारे स्थित है, तो अंतत: हुगली नदी से जाकर मिलती है.
कोलकाता में कौन सी बसें उपलब्ध हैं?
SBSTC बस, श्यामोली परिबाहन प्राइवेट लिमिटेड बस, ग्रीनलाइन बस, स्नेहिता परिबाहन बस, और समान प्रकार की अन्य सरकारी बसें भी शामिल हैं।
कोलकाता में कौन सा काली मंदिर प्रसिद्ध है?
कोलकाता में कालीघाट और दक्षिणेश्वर काली मंदिर दोनों समान रूप से प्रसिद्ध है.
कोलकाता में अन्य प्रसिद्ध मंदिर?
1. बिड़ला मंदिर कोलकाता
यह मंदिर सफेद रंग में निर्मित मंत्र मुक्त कर देने वाली एक बहुत ही अच्छी संरचना है इसको उद्योगपति बिरला ने बनवाया था मंदिर के निर्माण होने में लगभग 26 वर्ष लग गए यह पश्चिम बंगाल में आपको विशेष रूप से आकर्षित करेगी 1996 में इसको आम जनता के लिए खोला गया इसमें भारी संख्या में लोग आते हैं इस मंदिर में भागवत गीता को दर्शाया गया है और भगवान श्री कृष्णा और माता राधा को मंदिर समर्पित है और इसमें अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां भी रखी गई है यहां पर समय सुबह 5:30 से 11:00 तक और शाम को 4:30 से रात को 9:00 तक समय रहता है,
आपको अपनी यात्रा यहां से प्रारंभ करनी चाहिए, स्थान आशुतोष चौधरी avenu बालीगंज पर स्तिथि है.
2. कालीघाट मंदिर
जैसा कि ऊपर लिखा गया है कालीघाट मंदिर देवी काली को समर्पित है और यह पश्चिम बंगाल का अत्यंत महत्वपूर्ण मंदिर है और यह 51 शक्ति पीठ में से एक है इसके बारे में इस लेख में ऊपर लिखा गया है,
3. चीनी काली मंदिर
यह मंदिर अपने आप में अनोखा है चीनी काली मंदिर इस बात का प्रमाण है कि धर्म सभी लोगों को आपस में जोड़ता है माता काली को समर्पित यह मंदिर लेकिन यहां के पुजारी चीनी मूल के निवासी द्वारा संचालित है यह एक ऐसा मंदिर है जहां ज्यादातर चीनी लोग आते हैं और देवी की पूजा करते हैं निश्चित रूप से आपको यहां पर घूमना चाहिए देवी की पूजा चीनी रीति रिवाज के अनुसार की जाती है और प्रसाद के रूप में चीनी लोग अपने अनुसार प्रसाद बांटते हैं यहां सुबह 5:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक घूमने जा सकते हैं और शाम को 5:00 बजे से 10:30 बजे तक, स्थान टांगरा नामक जगह में है.
4. दक्षिणेश्वर काली मंदिर
हुगली नदी के तट पर स्थित दक्षिणेश्वर काली माता का मंदिर है यह मंदिर तीन मंजिल इमारत में बना हुआ है, ऐसा कहा गया है की माता ने अपने भक्तों को दर्शन देकर इस मंदिर को निर्माण करने की आज्ञा दी थी, दक्षिणेश्वर काली मंदिर रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद के कारण भी प्रसिद्ध है, मई दीबास पल्ली दक्षिणेश्वर नामक जगह में है.
रामकृष्ण परमहंस की भक्ति से देवी काली प्रसन्न होकर उन्हें रोज प्रत्यक्ष होकर दर्शन देती थी और उनके हाथों से भोजन करती थी रामकृष्ण परमहंस को देवी काली की पूर्ण सिद्धि ज्ञान भक्ति और अनगिनत शक्तियां प्राप्त थी लेकिन वह इनका उपयोग अपने लिए नहीं करते थे केवल भगवती काली के भक्ति में ही अपना जीवन समर्पित कर दिया और वहीं से इन्होंने विवेकानंद जी को अपना शिष्य बनाकर उनका मार्गदर्शन किया था, सुबह 5:00 से रात्रि 8:00 बजे तक इस मंदिर का समय है
5. कालीबाड़ी झील कोलकाता
कोलकाता के लोग बहुत ही भक्ति से देवी काली की पूजा करते हैं कालीबाड़ी झील इसका एक अच्छा उदाहरण है इसको भक्तों ने अपनी श्रद्धा के अनुसार बनाया है इसमें देवी की बहुत ही करुणामयी मूर्ति है इसका समय सुबह 6:00 से दोपहर 12:30 बजे तक और शाम को 3:30 से रात्रि 9:00 बजे तक है, दक्षिण avenu नामक जगह में है.
6. अग्नि मंदिर
यह मंदिर भगवान अग्नि देव को समर्पित है और इस मंदिर में हिंदू और पारसी दोनों के लिए अभिन्न अंग है मंदिर के दर्शन की अनुमति पूरी-पूरी जगह सभी के लिए नहीं है आम जनता को केवल इस मंदिर की पहली मंजिल पर ही जाने का अधिकार है और वह मंदिर लौ को देख सकते हैं यहां पर अग्नि की पवित्र लौ जलती रहती है लोग इसको देखने आते हैं इसका समय सुबह 10:00 बजे से रात को 8:00 बजे तक है, मेटकॉम लेन मध्य कोलकाता नामक जगह में है.
7. बेलूर मठ
यह मठ रामकृष्ण मिशन द्वारा संचालित है इसका निर्माण विवेकानंद जी ने करवाया था और यह रामकृष्ण परमहंस को समर्पित एक मंदिर है यह हुगली नदी के तट पर बना हुआ मंदिर है या दक्षिणेश्वर मंदिर के सामने स्थित है, इस मंदिर में जाने पर विवेकानंद और रामकृष्ण के जीवन चरित्र के बारे में देखने को मिलता है और यह पता चलता है कि उनकी भक्ति और तपस्या कितनी ऊंची थी इसमें जाने का समय सुबह 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक है और शाम को 4:00 बजे से रात को 9:00 बजे तक है, बेलूर हावड़ा नामक जगह में है.
8. कोलकाता जैन मंदिर
यह एक प्रसिद्ध जैन मंदिर है और इसमें वास्तु कला के बेहतरीन उदाहरण आपको देखने को मिलते हैं इस मंदिर में सभी धर्म के लोग जा सकते हैं या पार्श्वनाथ जैन मंदिर से भी जाना जाता है इसकी स्थापना 1867 में राय बहादुर मुकीम ने की थी यहां पर मुख्य देवता 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ है यहां पर अन्य तीर्थंकर की भी पूजा की जाती है यहां पर इमारत में जटिल नक्काशी शीशे आदि के द्वारा मंदिर का निर्माण किया गया है जो मंदिर को खूबसूरत बनाते हैं मंदिर का समय सुबह 6:00 बजे से शाम को 11:30 तक है और दोपहर 3:00 बजे से शाम को 7:00 बजे तक है, बद्रीदास मंदिर मार्ग नामक जगह में है.
9. साई बाबा मंदिर
जैसा के नाम से ही प्रसिद्ध है यह साइन बाबा को मंदिर समर्पित है 1913 में इसका निर्माण किया गया था और साइन बाबा के सभी भक्तों के लिए यह एक महत्वपूर्ण स्थान है यह सोदपुर नामक स्थान में स्थित है और सुबह 8:00 बजे से रात के 8:00 तक यहां पर आप लोग जा सकते हैं.
10.बाल हनुमान मंदिर
जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है यह मंदिर संकट मोचन हनुमान जी को समर्पित है हनुमान जी के भक्त यहां पर जाते हैं और अपनी मनोकामना पूरी करते हैं यहां पर सीताराम और भगवान श्री कृष्ण और राधा माता की भी मूर्ति रखी गई है इस मंदिर में सभी धर्म के लोग घूमने आते हैं, यह लेक टाउन नामक जगह पर स्थित है और यह सुबह 6 से रात को 8:00 तक खुला रहता है
11. इस्कॉन मंदिर कोलकाता
इस मंदिर की स्थापना 1970 में की गई थी या अन्य इस्कॉन मंदिर की तरह ही राधा और कृष्ण को समर्पित है और मंदिर के अंदर भागवत गीता के उदाहरण देखने को मिलते हैं यहां पर जाने पर आपको बहुत ही अच्छा महसूस होगा और भगवान श्री कृष्ण की भक्ति भी प्राप्त होगी यहां पर जाने का समय सुबह 4:30 बजे से 1:30 है और शाम को 4:00 बजे से रात को 8:30 तक
यह मंदिर मिंटो पार्क नामक स्थान पर स्थित है.
12. भू कैलाश रजवाड़ी कोलकाता
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है भगवान शिव के भक्तों का साल भर यहां पर आना-जाना लगा रहता है यह भगवान शिव का एक महत्वपूर्ण मंदिर है, इस मंदिर के किनारे आपको एक सुंदर तालाब भी देखने को मिलेगा जो पर्यटकों को आकर्षित करती है, इस मंदिर में जाने का समय सुबह 10:30 बजे से लेकर 7:30 तक है ये मंदिर भू कैलाश रोड बाबू नगर खिदिरपुर नामक जगह पर स्थित है.
कोलकाता में कौन सी देवी है?
यहाँ देवी काली मंदिर है, ये की मुख्य देवी काली है.
कोलकाता में मुख्य काली मंदिर कौन सा है?
मुख्य काली मंदिर कालीघाट है,पौराणिक कथाओं के अनुसार, कोलकाता के कालीघाट मंदिर में माता सती के दाहिने पैर का अंगूठा गिरा था, जिसके कारण इसे शक्तिपीठ कहा जाने लगा।
कोलकाता का असली नाम क्या है?
इसका पूर्व नाम अंग्रेजी में “कैलकटा’ था लेकिन बांग्ला भाषी इसे सदा कोलकाता या कोलिकाता के नाम से ही जानते है
बंगाल में सबसे ज्यादा किस भगवान की पूजा की जाती है?
बंगाल में देवी दुर्गा ही मुख्य रूप से पूजनीय है, यहाँ लोग माता दुर्गा की उपासना करते है, इनके रूप देवी काली को बहुत मानते है.
कालीघाट और दक्षिणेश्वर में कौन सा बेहतर है?
कालीघाट और दक्षिणेश्वर ये दोनों मंदिर ही अपने अपने जगह में बेहतर है क्यों की दोनों जगह एक ही देवी है, कालीघाट एक शक्तिपीठ है जबकि
दक्षिणेश्वर रामकृष्ण के बाद बहुत ही प्रसिद्ध हुआ, यहाँ के मुख्य पुजारी रामकृष्ण परमहंस थे.
क्या दक्षिणेश्वर और कालीघाट एक ही है?
नहीं, कालीघाट एक शक्तिपीठ है जबकि दक्षिणेश्वर रामकृष्ण के बाद बहुत ही प्रसिद्ध हुआ, यहाँ के मुख्य पुजारी रामकृष्ण परमहंस थे. दक्षिणेश्वर काली मंदिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है जो देवी काली को समर्पित है। यह मंदिर हुगली नदी के तट पर स्थित है और इसका क्षेत्रफल 25 एकड़ है।
मुख्य मंदिर एक नौ शिखरों वाली संरचना है और इसे एक विशाल प्रांगण से घेरा गया है, जिसमें कई कमरे शामिल हैं। नदी के तट पर, भगवान शिव को समर्पित लगभग 12 मंदिर हैं, साथ ही एक मंदिर जो भगवान कृष्ण और देवी राधा को समर्पित है, और एक मंदिर जो रानी रशमोनी को समर्पित है, जिसका कहना है कि उन्होंने इस मंदिर का निर्माण कराया था। रानी रशमोनी देवी काली की परम भक्त थीं।
इस मंदिर को 19वीं सदी के रहस्यवादी रामकृष्ण से जुड़ा माना जाता है। रामकृष्ण और विवेकानंद के बाद लोग इस मंदिर को और भी जानने लगे और इस मंदिर की प्रसिद्धि बढ़ गई.
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