कागज कैसे बनता है जानिए

कागज कैसे बनता है जानिए ,कागज का निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है, जो पेड़ के लकड़ी या अन्य प्राकृतिक स्रोतों से शुरू होती है और अंत में तैयार उत्पाद के रूप में कागज में बदल जाती है। यह प्रक्रिया हजारों साल पुरानी है, लेकिन आधुनिक तकनीकों ने इसे अधिक कुशल और व्यापक रूप से उपलब्ध बना दिया है।

 

कागज कैसे बनता है जानिए

कागज बनाने के लिए मुख्य रूप से पेड़ों की लकड़ी का उपयोग किया जाता है। इसके लिए सबसे पहले पेड़ों को काटा जाता है और लकड़ी को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ा जाता है। इसके बाद लकड़ी के इन टुकड़ों को रासायनिक या यांत्रिक प्रक्रियाओं से लुगदी (पल्प) में परिवर्तित किया जाता है। यह लुगदी ही कागज का आधार होती है।

लुगदी तैयार करने की प्रक्रिया में लकड़ी को पानी में डुबोकर उसकी संरचना को ढीला किया जाता है। इसके बाद इसे पीसकर या रसायनों की मदद से लकड़ी से फाइबर अलग किए जाते हैं। इस प्रक्रिया से प्राप्त लुगदी एक गाढ़े तरल पदार्थ के रूप में होती है जिसमें लकड़ी के तंतु और पानी होते हैं।

इसके बाद इस लुगदी को फ़िल्टर किया जाता है ताकि उसमें से कोई अशुद्धियाँ हटाई जा सकें। कई बार इसे साफ और सफेद बनाने के लिए ब्लीचिंग प्रक्रिया भी की जाती है, जिसमें रसायनों का उपयोग किया जाता है। फिर इस लुगदी को कागज बनाने की मशीनों में डाला जाता है। ये मशीनें बड़ी और तेज़ होती हैं, जिनकी मदद से लुगदी को पतली चादर के रूप में फैलाया जाता है।

लुगदी की यह चादर धीरे-धीरे सूखने के लिए गर्मी और दबाव का उपयोग किया जाता है। पहले, इस चादर का अधिकांश पानी निकालने के लिए रोलर्स का उपयोग होता है, और फिर इसे हवा या गर्मी से सुखाया जाता है। सूखने के बाद, कागज की चादर को बड़े रोल्स में लपेटा जाता है।

आखिर में, इस कागज को विभिन्न आकारों और मोटाई के अनुसार काटा और तैयार किया जाता है। इसके बाद, इसे बाजार में बिक्री के लिए भेज दिया जाता है। कुछ कागज पर विशेष कोटिंग्स या प्रिंटिंग की सुविधाएं भी होती हैं, ताकि यह विभिन्न उद्योगों के लिए उपयोगी बन सके।

कागज बनाने की यह पूरी प्रक्रिया पर्यावरण के लिए हानिकारक भी हो सकती है, क्योंकि इसमें बहुत सारे पेड़ काटे जाते हैं और रसायनों का उपयोग होता है। इसीलिए, आजकल रीसाइकल्ड पेपर और पर्यावरण-अनुकूल कागज निर्माण तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि पेड़ों की कटाई कम हो और पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सके।

कागज निर्माण की प्रक्रिया को और विस्तार से समझने के लिए इसके विभिन्न चरणों और पहलुओं को गहराई से जानना ज़रूरी है।

कच्चे माल का चयन: कागज बनाने के लिए मुख्य रूप से लकड़ी का उपयोग किया जाता है, लेकिन इसके अलावा कपास, भांग, जूट, बांस, और अन्य पौधों का भी उपयोग किया जाता है। इनमें से सबसे आम स्रोत लकड़ी है, विशेष रूप से सॉफ्टवुड पेड़ जैसे पाइन, स्प्रूस और फर। इन पेड़ों के तंतु लंबे होते हैं, जिससे कागज मजबूत बनता है। हार्डवुड पेड़ जैसे एस्पेन और बर्च भी उपयोग किए जाते हैं, जिनके तंतु छोटे होते हैं और यह कागज को चिकनाहट और मजबूती प्रदान करते हैं।

लुगदी बनाने की प्रक्रिया: पेड़ों की लकड़ी को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटने के बाद, उन्हें पानी में डुबोकर सॉफ्ट किया जाता है। इसके बाद दो प्रमुख तरीकों से लुगदी तैयार की जाती है:

  1. मेकैनिकल प्रोसेस: इस प्रक्रिया में लकड़ी के टुकड़ों को पीसकर उसमें से तंतु (फाइबर) निकाले जाते हैं। यह विधि सरल और तेज होती है, लेकिन इससे प्राप्त कागज की गुणवत्ता और टिकाऊपन कम होती है। इस प्रक्रिया से बनने वाला कागज अखबार या सस्ते कागज के रूप में उपयोग होता है।

  2. केमिकल प्रोसेस: इस प्रक्रिया में रसायनों का उपयोग किया जाता है, जैसे सल्फेट या सल्फाइट, ताकि लकड़ी के तंतु लिग्निन से अलग हो जाएं। लिग्निन एक प्राकृतिक यौगिक है जो पेड़ों को मजबूती देता है, लेकिन कागज के लिए यह अनुपयुक्त होता है, क्योंकि यह कागज को भूरा बना सकता है और उसकी उम्र कम कर सकता है। इस प्रक्रिया से बनाए गए कागज की गुणवत्ता और सफेदी बेहतर होती है और यह अधिक समय तक चलता है।

ब्लीचिंग: लुगदी से लिग्निन हटाने के बाद इसे सफेद और शुद्ध बनाने के लिए ब्लीचिंग की प्रक्रिया की जाती है। इसमें क्लोरीन या हाइड्रोजन परॉक्साइड जैसे रसायनों का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया से कागज चमकदार सफेद हो जाता है और इसे विशेष उद्देश्यों के लिए उपयोगी बनाया जाता है, जैसे प्रिंटिंग पेपर, उच्च गुणवत्ता वाला कागज आदि।

कागज की निर्माण प्रक्रिया: लुगदी तैयार होने के बाद उसे कागज की चादरों में बदलने के लिए बड़े-बड़े रोलर्स और मशीने इस्तेमाल की जाती हैं। यह मशीने लुगदी को एक पतली चादर में बदलकर उसके ऊपर से पानी निकालने और इसे सूखाने का काम करती हैं। पहले कागज को पानी से निकालकर दबाया जाता है, फिर गर्म हवा या गर्म रोलर्स से सूखाया जाता है। यह एक तेज़ प्रक्रिया होती है, जिससे प्रति मिनट सैकड़ों मीटर कागज बनाया जा सकता है।

फिनिशिंग: कागज के रोल्स बनने के बाद इसे विभिन्न आकारों में काटा जाता है और आवश्यकता के अनुसार कोटिंग्स या फिनिशिंग की जाती है। कुछ कागजों को चमकदार, चिकना, या मोटा बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की कोटिंग्स की जाती हैं। फिनिशिंग के दौरान, कागज पर स्याही की पकड़ और उसकी ताकत बढ़ाने के लिए उसे ग्लॉसी या मैट बनाया जा सकता है।

रीसाइक्लिंग और पर्यावरणीय प्रभाव: कागज निर्माण प्रक्रिया में भारी मात्रा में पानी और ऊर्जा की खपत होती है, साथ ही यह बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई और रासायनिक कचरे का भी कारण बनती है। इसीलिए, आजकल रीसाइकल्ड पेपर का महत्व बढ़ता जा रहा है। पुराने पेपर और कागज उत्पादों को पुनः लुगदी में बदलकर नए कागज के रूप में उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया से नए पेड़ों को काटने की आवश्यकता कम हो जाती है और ऊर्जा की खपत भी घटती है। रीसाइक्लिंग प्रक्रिया पर्यावरण के लिए अनुकूल है, क्योंकि यह प्रदूषण को कम करती है और संसाधनों के बेहतर प्रबंधन में मदद करती है।

आधुनिक तकनीकों और नवाचारों की मदद से कागज निर्माण प्रक्रिया को अधिक पर्यावरणीय-अनुकूल बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। कुछ कंपनियाँ अब बांस, जूट, या गन्ने के अवशेष जैसी वैकल्पिक स्रोतों का उपयोग कर रही हैं, ताकि पेड़ों की कटाई पर निर्भरता कम हो सके। इसके साथ ही, पानी और ऊर्जा की खपत को कम करने के लिए नई मशीनों और प्रक्रियाओं का भी विकास हो रहा है

कुल मिलाकर, कागज बनाने की प्रक्रिया अत्यधिक तकनीकी है, जो प्राकृतिक स्रोतों से शुरू होकर बड़े-बड़े उद्योगों में आधुनिक मशीनीकरण और प्रौद्योगिकी के जरिए तैयार होती है। इस प्रक्रिया में प्राकृतिक स्रोतों का सावधानीपूर्वक उपयोग और उनके संरक्षण के उपायों को प्राथमिकता दी जा रही है ताकि भविष्य में भी कागज के निर्माण और उपयोग की प्रक्रिया पर्यावरणीय दृष्टि से संतुलित रहे।

 

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