Pathgyan.com पर आप सभी लोगों का स्वागत है,सिंधु घाटी सभ्यता क्यों ख़त्म हुई, इसके बारे में कुछ जानकारी दी जा रही है जो आप लोगो के लिए उपयोगी होगी।
सिंधु घाटी (सिंधु घाटी सभ्यता क्यों ख़त्म हुई)
सिंधु घाटी की सभ्यता मौसम के बदलाव के परिवर्तन के फलस्वरूप नष्ट हुई थी. खोजों के आधार पर,इसे आप विस्तारपूर्वक पढ़े.
इसके पहले इसकी सभ्यता के बारे में जानते , है यह नदी घाटी सभ्यता के नाम से जाना जाता है जो विश्व की प्राचीन सभ्यता में से एक है जो 4000 वर्ष पुरानी मानी जाती है.
यह हड़प्पा और सिंधु सभ्यता के नाम से भी जानी जाती है इसका विकास घग्गर नदी के किनारे हुआ.
कराची से लाहौर के लिए जब रेलवे का निर्माण किया जा रहा था तो उस समय खुदाई के दौरान इस सभ्यता का पता चला, इसके बाद इसको हड़प्पा सभ्यता का नाम दिया गया.
इसको इंडस वैली के नाम से भी जाना जाता है इसकी खोज रायबहादुर दयाराम साहनी जी ने की थी, उन्होंने 1921 में उस समय अंग्रेज अधिकारी मार्शल के निर्देशन में खुदाई करवाई थी.
उसके बाद मोहनजोदड़ो की खुदाई के समय एक और बौद्ध स्तूप का पता चला, इससे पता चला कि यह सभ्यता सिंधु नदी के किनारे तक ही सीमित है इसलिए इसका नाम इंडस वैली सिविलाइजेशन पड़ा।
इसके प्रमुख केंद्र मोहनजोदड़ो कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा, गढ़ीवाणीवाल और हड़प्पा है, यह सैंधव काल सभ्यता थी.
वैज्ञानिकों के अनुसार मोहनजोदड़ो सभ्यता बाढ़ के प्रभाव के कारण नष्ट हो गई थी, इसमें खुदाई में मूर्तियों के अवशेष , मुद्रा, सिलबट्टा तराजू और नहाने के लिए स्नानागार, इसमें घरों के निर्माण के लिए ऑटो का प्रयोग किया गया था जिसमें घरों के दरवाजे पीछे की ओर खुलते थे और स्वास्तिक चिन्ह भी यहीं से प्राप्त होता है आज के समय में ऐसा माना जाता है स्वास्तिक चिन्ह हड़प्पा सभ्यता की देन है.
खुदाई में मिले अवशेषों से अनुमान लगाया गया कि यहां पर सूर्य पूजा का भी प्रचलन था और खुदाई में महिलाओं की मूर्तियां ज्यादा मिली है जिससे ऐसा अंदाजा लगाया जाता है कि यहां पर महिलाएं मुखिया के रूप में कार्य करती रही होंगी।
यहां का मुख्य पेशा कृषि करना और पशु पालन करना था, यहाँ लोग गेहूं जौ कपास रुई मटर और अनार की खेती करते थे, सिंधु सभ्यता की लिपि दाएं से बाएं लिखी जाती थी, लगभग १००० सिक्के मिले है जिससे लिपि के बारे में पता चलता है.
सिंधु घाटी सभ्यता का विनाश कैसे हुआ
सिंधु घाटी सभ्यता क्यों ख़त्म हुई,लगभग 4000 वर्ष पहले इस सभ्यता के बारे में वैज्ञानिकों ने अब तक यही खोज किया है कि जगह जलवायु परिवर्तन के कारण इस सभ्यता का अंत हुआ, वैज्ञानिकों के अनुसार मौसम परिवर्तन के चलते सिंधु घाटी सभ्यता में लोगों का रहना मुश्किल हो गया था.
इसलिए उन्होंने इस सभ्यता को छोड़कर कहीं और चले गए, क्योंकि यहां समय के अनुसार खेती करना मुश्किल हो गया था, और यहाँ के लोग हिमालय की हल्की ऊंची चोटी पहाड़ियों आदि पर रहने लगे जहां कुछ समय तक रहने के बाद इनको पानी आदि की समस्या हुई और अपना जीवन ठीक ढंग से नहीं चला पाने के कारण इस सभ्यता का धीरे-धीरे अंत हो गया ऐसे वैज्ञानिकों का अनुमान है.
जब मिस्र में सभ्यता प्राचीन काल में उन्नति के शिखर पर थी उस समय सिंधु घाटी सभ्यता भी उन्नति के शिखर पर थी ऐसा माना जाता है कि इस सभ्यता में कुल आबादी 50 लाख के आसपास रही होगी, यहां उस समय पूरी दुनिया की आबादी का 10 फ़ीसदी हिस्सा थी.
इस संसार में सबसे पहली आधुनिक शौचालय सिंधु घाटी सभ्यता में देखने को मिली, यहां पर आधुनिक नगरों का निर्माण था, घरों में पानी सप्लाई की जाती थी और नालियों के व्यवस्था था, शहर को बाहर के हमले से रोकने के लिए ऊंची और सुरक्षित दीवारें भी बनाई गई थी.
यह अपने समय की आधुनिक सभ्यता थी, जो जलवायु परिवर्तन के कारण नष्ट हो गई.
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