विकासशील देशों में गरीबी के मुख्य कारण क्या हैं, विकासशील देशों में गरीबी एक जटिल समस्या है, जिसके पीछे कई कारण होते हैं। गरीबी केवल आय की कमी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक कारकों से भी प्रभावित होती है। आइए, विकासशील देशों में गरीबी के मुख्य कारणों पर विस्तार से चर्चा करते हैं.
विकासशील देशों में गरीबी के मुख्य कारण क्या हैं
- आर्थिक कारक
- कम आय और रोजगार के अवसर: विकासशील देशों में औसत आय कम होती है। रोजगार के अवसर सीमित होते हैं, और अक्सर लोग अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं, जहाँ वे कम वेतन पाते हैं।
- आर्थिक असमानता: धन और संसाधनों का असमान वितरण, जिसके कारण कुछ लोगों के पास अधिक संपत्ति होती है जबकि अधिकांश लोग गरीब रहते हैं।
- कृषि पर निर्भरता: कई विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर होती है, जो मौसम की अनिश्चितताओं और प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील होती है।
- शिक्षा की कमी
- शिक्षा का अभाव: शिक्षा की कमी के कारण लोग उच्च वेतन वाली नौकरियों के लिए आवश्यक कौशल प्राप्त नहीं कर पाते। इससे उनकी आय और सामाजिक स्थिति में सुधार नहीं होता।
- महिलाओं की शिक्षा: विकासशील देशों में महिलाओं की शिक्षा पर कम ध्यान दिया जाता है, जिससे वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं हो पातीं और उनके परिवारों की स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ
- स्वास्थ्य सेवाओं की कमी: गरीब क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी होती है, जिससे लोग बीमारियों का सामना नहीं कर पाते और उनकी उत्पादकता कम हो जाती है।
- पोषण की कमी: कुपोषण और अपर्याप्त आहार भी गरीब परिवारों में आम है, जो उनके स्वास्थ्य और विकास को प्रभावित करता है।
- राजनीतिक और सामाजिक कारक
- भ्रष्टाचार: विकासशील देशों में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है, जिससे सरकारी योजनाएँ और संसाधनों का सही ढंग से उपयोग नहीं हो पाता।
- अस्थिरता और संघर्ष: राजनीतिक अस्थिरता, गृह युद्ध, और संघर्ष भी गरीबी के प्रमुख कारण हैं। ये समस्याएँ लोगों को उनके मूलभूत अधिकारों और संसाधनों से वंचित कर देती हैं।
- आवास और अवसंरचना की कमी
- बुनियादी सेवाओं की कमी: बुनियादी सेवाओं जैसे जल, बिजली, परिवहन आदि की कमी से विकास धीमा हो जाता है।
- खराब आवासीय स्थिति: गरीब लोग अक्सर झुग्गियों में रहते हैं, जहाँ स्वास्थ्य और सुरक्षा की स्थिति खराब होती है।
- जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय मुद्दे
- जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक आपदाओं की संभावना बढ़ जाती है, जिससे कृषि और खाद्य सुरक्षा प्रभावित होती है।
- पर्यावरणीय degradations: वनों की कटाई, भूमि की खराबी, और जल संसाधनों का अति प्रयोग भी गरीबों को प्रभावित करता है।
. संस्थागत कमजोरियाँ
- कमजोर सरकारी ढाँचा: कई विकासशील देशों में सरकारी संस्थाएँ कमजोर होती हैं, जो सही तरीके से योजनाओं को लागू करने और विकास को प्रोत्साहित करने में असमर्थ होती हैं।
- नियमों और नीतियों की कमी: गरीबों के अधिकारों की रक्षा के लिए उचित नीतियों का अभाव होता है, जिससे लोग शोषण का शिकार होते हैं।
- सामाजिक सांस्कृतिक कारक
- पारिवारिक संरचना: पारंपरिक पारिवारिक संरचनाएँ और मान्यताएँ अक्सर महिलाओं और बच्चों को शिक्षा और आर्थिक अवसरों से वंचित करती हैं।
- जातिवाद और वर्ग भेद: जातिवाद और सामाजिक वर्ग भेद विकासशील देशों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिसके कारण कुछ समुदायों के लोग आर्थिक अवसरों से वंचित रहते हैं।
- बाजार की असफलता
- असामान्य बाजार स्थितियाँ: कई बार बाजारों में असामान्य स्थितियाँ होती हैं, जैसे कि मौलिक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि, जो गरीब लोगों को प्रभावित करती हैं।
- मूल्य निर्धारण की प्रणाली: कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का अभाव भी किसानों को गरीबी में डाल सकता है।
- वैश्विक कारक
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार असंतुलन: विकासशील देशों को वैश्विक व्यापार में उचित हिस्सेदारी नहीं मिलती। उनके उत्पादों की कीमतें अक्सर निम्न रहती हैं, जबकि आयातित वस्तुएँ महंगी होती हैं।
- आर्थिक संकट: वैश्विक आर्थिक संकट, जैसे कि वित्तीय मंदी, विकासशील देशों पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं, जिससे उनकी विकास दर धीमी हो जाती है।
- प्रवासन
- आर्थिक प्रवासन: आर्थिक अवसरों की तलाश में लोग अपने गांवों या देशों को छोड़ देते हैं, जिससे वहाँ की जनसंख्या कम हो जाती है और स्थानीय अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है।
- शरणार्थी संकट: युद्ध या प्राकृतिक आपदाओं के कारण लोग अपने देश से भागकर दूसरे देशों में शरण लेने के लिए मजबूर होते हैं, जिससे वहाँ की सामाजिक और आर्थिक स्थितियों पर दबाव पड़ता है।
- भौगोलिक और पर्यावरणीय कारक
- भौगोलिक स्थान: कुछ विकासशील देश भूगोलिक रूप से अलग-थलग या कठिनाई भरे क्षेत्रों में स्थित होते हैं, जहाँ बुनियादी ढाँचे और संसाधनों की उपलब्धता सीमित होती है।
- प्राकृतिक संसाधनों का सीमित होना: प्राकृतिक संसाधनों की कमी, जैसे जल, मिट्टी, और खनिज, विकासशील देशों की आर्थिक विकास की क्षमता को सीमित कर देती है।
- तकनीकी अवसंरचना की कमी
- तकनीकी नवाचार का अभाव: तकनीकी नवाचार और अनुसंधान की कमी के कारण उत्पादकता कम होती है।
- सूचना और संचार तकनीक: सूचना और संचार तकनीक की कमी से लोग बाजारों और अवसरों के बारे में जानकारी प्राप्त नहीं कर पाते।
- मीडिया और जागरूकता की कमी
- समाज में जागरूकता का अभाव: गरीब समुदायों में कई बार मीडिया और सूचना की कमी होती है, जिससे लोग अपने अधिकारों और उपलब्ध अवसरों से अनजान रहते हैं।
- सामाजिक गतिविधियों की कमी: सामाजिक संगठन और गतिविधियों का अभाव गरीबों के लिए एकजुटता और सामूहिक कार्यवाही की संभावनाओं को सीमित करता है।
नीतिगत सिफारिशें
- शिक्षा का संवर्धन: शिक्षा में सुधार और महिला शिक्षा को प्रोत्साहित करना।
- स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार: स्वास्थ्य सेवाओं को सस्ती और सुलभ बनाना।
- आर्थिक विकास के लिए नीतियाँ: गरीबों के लिए सशक्तीकरण योजनाएँ और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।
- भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई: सरकारी भ्रष्टाचार को कम करने के लिए ठोस नीतियाँ बनाना।
- स्थिरता और विकास के लिए सहयोग: अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से सहयोग और समर्थन प्राप्त करना।
निष्कर्ष
विकासशील देशों में गरीबी का समाधान एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और पर्यावरणीय कारकों को ध्यान में रखा जाए। केवल सरकारी नीतियाँ ही नहीं, बल्कि समुदायों और समाज के सभी हिस्सों की सक्रिय भागीदारी भी आवश्यक है। इस दिशा में उठाए गए कदम न केवल गरीबी को कम करेंगे, बल्कि समग्र विकास को भी सुनिश्चित करेंगे।
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