आज ज्यादा पैसा कमा करके भी पैसे की कमी विकराल समस्या क्यों है
इस लेख में कोई फाइनेंसियल एजुकेशन, संबंधी बातें नहीं है इस इस लेख में व्यावहारिक संबंधी बातें हैं जो शायद आज के समय में लोग भूल चुके हैं जिसे पुनः याद दिलाने की जरूरत है इसका एक कारण हमारे आज की आधुनिक शिक्षा पद्धति भी है जो विद्यार्थियों को यह नहीं सिखाती कि पैसे को कैसे लिमिट में खर्च किया जाए.
नैतिक शिक्षा की कमी
आज के समय में नैतिक शिक्षा की कमी है आज स्कूल या घर में या समाज आज के विद्यार्थियों को नैतिक शिक्षा नहीं देता नैतिक शिक्षा का अर्थ है व्यावहारिक तरीके से समाज में उचित व्यवहार करना है, जो नीति की शिक्षा दें उसे ही नैतिक शिक्षा कहते हैं, इसमें हर प्रकार का ज्ञान शामिल होता था जो समाज में किसी भी मानव के काम आता.
पूर्वजों का आदर्श लोग भूल गए
मित्रों पहले के समय में हमारे पूर्वज लोग कभी किसी से कोई भी चीज मांगा नहीं करते थे अत्यंत मजबूरी में ही कोई किसी से कोई भी चीज मांगता था पहले के लोग केवल चावल और सब्जी या चावल और चटनी खाकर भी दिन बिता देते थे लेकिन किसी के सामने हाथ नहीं फैलाते थे.
पैरों में चप्पल नहीं फिर भी पहले के लोग चप्पल के लिए भी किसी के सामने उधारी नहीं करते थे दो जोड़ी कपड़ों में भी कई वर्षों बिता लेते थे लेकिन उधारी करके कपड़ा नहीं खरीदते थे, उधार का दिखावा नहीं, शादी भी सामान्य तरीके से हो जाता था.
पहले के समय में आमदनी के अनुसार चलना ही सबको सिखाया जाता था उसी में चलने पर लोगों का जीवन ज्यादा सुखी था.
पहले के लोगों में स्वाभिमान ज्यादा था कोई भी किसी से कोई भी चीज मांगने से पहले उनके बीच में उनके स्वाभिमान आता था इसी स्वाभिमान के चलते वह लोग जल्दी किसी से कोई भी चीज मांगते नहीं थे और मांगने पर उचित समय पर लौटा देते थे लेकिन आज के समय में पूरा समय विपरीत हो गया है.
आप लोग हमारी पुरानी कहानियों में देखते होंगे राजाओं की कन्या की शादी ऋषि मुनि के साथ कई बार कर दी जाती थी, उनकी योग्यता को देखकर, और वहीं से मुनियों के साथ जंगल में बहुत ही सामान्य जीवन जिया करते थे क्योंकि उस समय सभी को इस प्रकार की जीवन जीने की शिक्षा दी जाती थी सामान्य जीवन में जिस व्यक्ति सुखी रहे, और हर प्रकार का जीवन जी सके.
आधुनिक जीवन के साथ हमारे पूर्वजों के ज्ञान में सामंजस्य बैठना जरूरी है.
मित्रों आज आज आप सभी देखते होंगे आज कम रुपए कमाने वाले भी लोग अपने बच्चों को बड़े-बड़े स्कूलों में भेजते हैं जबकि आज की शिक्षा पद्धति कोई जरूरी नहीं की बड़ी स्कूलों अच्छी हो तभी आपका बच्चा अच्छी शिक्षा प्राप्त करेगा, आज लोग दिखावा में अपने बच्चों को बड़े स्कूलों में भेजते हैं और उनको केवल 10वीं 12वीं तक ही पढ़ा पाते हैं, आगे पढ़ाने का रुपया आदि उनके पास नहीं हो पाता और उनके बच्चे नहीं पढ़ पाते ऐसा आप लोगों ने हर जगह देखा होगा।
जबकि आप सभी जानते हैं कि कोई भी बच्चा जब दसवीं पास करता है 10वीं 12वीं पास करने के बाद ही उसकी सबसे अधिक शिक्षा के क्षेत्र में रुपए खर्च करने की जरूरत होती है यदि उस समय ही रुपया ना हो तब पहले की शिक्षा का कोई ज्यादा अर्थ नहीं रह जाता, फिर आपने सरकारी स्कूल में पढ़ाया हो या प्राइवेट में सब बराबर हो जाता है.
आप अपने बच्चों को सामान्य स्कूल में पढ़ाकर भी रुपए की बचत कर सकते हैं जो आगे चलकर उनके कॉलेज में उनका करियर बनाने के लिए काम आएगी, और यही बच्चों के लिए सुनहरा गिफ्ट है, सरकारी में भी बच्चे यदि ध्यान दे तो सब कुछ कर लेते है.
आज के समय में लोगों के पास भरपूर भोजन कपड़ा आदि सब है फिर भी लोगों की ज्यादा खर्च करने की आदत जाती नहीं, आज जरूरी है लिमिट से चलकर अपना जीवन को ज्यादा सुखी करने की.
जैसे मान लीजिए यदि आप ₹15000 कमाते हैं तब आप इतना लिमिट से चलिए कि आपका काम से कम ₹2000 महीने का बच जाए, इसके लिए आपको अपने जीवन खर्चों में कटौती करनी पड़ेगी कुछ जीवन कठिनाई से बीतेगा, लेकिन आपको किसी के सामने जल्दी हाथ फैलाना नहीं पड़ेगा और किसी के सामने हाथ फैलाने से अच्छा है कि अपने आप को लिमिट में रहकर जीवन जिया जाए.
इसी प्रकार यदि आप ₹50000 महीना कमाते हैं तो महीने का ₹15000 बचाए, यदि आप ₹100000 कमाते हैं तो महीने का काम से कम 25 से ₹30 हजार बचाए. कोशिश करना चाहिए यदि आप की कमाई महीने का ₹100000 से ज्यादा है, तब आप 25 से 30% रुपया अपने भविष्य के लिए सुरक्षित करते जाएं, और बाकी के 75 परसेंट रुपए में घर का खर्च पढ़ाई लिखाई रिश्तेदारी में खर्च इसका खर्च उठाएं, आपका यही बचाया हुआ पैसा आपके भविष्य को सुरक्षित करेगा और आपको सुख देगा।
हम सभी जानते हैं बच्चों को हर 6 महीने में नए कपड़े चाहिए छोटे बच्चों को फिर भी लोग बहुत महंगे महंगे कपड़े में ज्यादा पैसे खर्च करते हैं, जबकि जिनकी कमाई कम है वह लोग बच्चों के लिए नए-नए सस्ते कपड़े भी खरीद सकते हैं.
मित्रों यहां पर जिनकी कमाई कम है उनके लिए लिमिट से खर्च करना ही उनके सुख का साधन है, जैसे महंगे महंगे शौक पार्टियों से दूर रहना महंगे कपड़ों से दूर रहना, सामान्य कपड़ों में भी जीवन जिया जा सकता है और मेहनत करके आगे बढ़ा जा सकता है. याद रखिये की रुपये की कमी जीवन नर्क कर सकती है, इससे अच्छा है की लिमिट में चले.
पैसा कमा करके भी गरीब होना सच्ची कहानी
मित्रों आज के समाज में ऐसी एक नहीं बहुत सारी कहानी है ऐसे बहुत से लोग हैं जिनका जीवन गरीबी में बीता घर में खाने तक को अनाज नहीं था लेकिन जब बड़े होकर कमाने लगे तो धीरे-धीरे उनके खर्च करने की आदत बढ़ गई.
महंगे कपड़े महंगे सामान पार्टी आदि में धीरे-धीरे वह लोग अपने पुराने जीवन को भी भूल जाते हैं, और एक समय ऐसा आता है जिनके पास भरपूर भोजन है भरपूर पैसा है वह लोग भी रुपया नहीं बचा पाए.
और जब समय बीतता है और समय करवट बदलता है, तब वह लोग जैसे पहले गरीब थे जब उनके खाने को भोजन नहीं था उनकी स्थिति लगभग उसी प्रकार पहुंच जाती है, मित्रों ऐसी कहानी बहुत से लोगों की है जो लोग बचपन में गरीब थे जवानी में बहुत ज्यादा पैसा कमाया बहुत ज्यादा खर्च किया थोड़े से पैसों में अहंकार का भाव हो जाना और बिना भविष्य की चिंता किए हुए अपने भविष्य को बर्बाद कर देना।
मित्रों कोशिश करना चाहिए कि इस जीवन में किसी के सामने हाथ फैलाना ना पड़े, यदि आप लिमिट में चलेंगे तब ऐसी स्थिति आने की संभावना बहुत ही कम रहेगी।
मित्रों हमेशा इस चीज को ध्यान रखिए की शक्ति उसी के पास टिकी रहती है जो शक्ति को संभाल सकता है इस प्रकार रुपया और धन संपत्ति भी एक शक्ति है जो इसे संभाल सकता है यह उसी के पास टिकी रहती है.
जैसे मान लीजिए आपका घर ₹15000 महीना में चलता था, आज घर की कमाई ₹100000 महीना हो गई, ₹100000 महीना कमाने पर ₹50000 महीने में भी घर चल सकता है, क्योंकि जब गरीबी में ₹15000 में चलता था तो आज 50000 में क्यों नहीं, मित्रों ऐसे बहुत से लोग हैं समाज में जो लोग ज्यादा पैसा बचाकर आज ज्यादा सुखी हैं.
इसमें आप लोग बोल सकते हैं की मन को मार कर अपने खुशियों का गला घोटकर पैसा बचा करके क्या मतलब, आपका कहना सही है, लेकिन मित्रों भविष्य किसी का भी हो भविष्य किसी ने नहीं देखा, यहां पर अपने कमाई के अनुसार बचाना और खर्च करने को कहा गया है, मित्रों पैसा खर्च करने की कोई लिमिट नहीं होती, और अपनी शौक को धीरे-धीरे थोड़ा-थोड़ा करके भी पूरा किया जा सकता है कमाई बढ़ाकर।
मित्रों जो लोग अपनी आमदनी का 25 से 30 परसेंट महीने का बचाते हैं उनको हमेशा इस बात की संतुष्टि और खुशी रहती है कि उनके पास बुरे समय के लिए कुछ पैसा है, ऐसे लोग कभी अवसाद का शिकार टेंशन आदि में नहीं आते, और बहुत प्रकार से बीमारियों से भी दूर रहते हैं.
मित्रों अगर जीवन में वास्तविकता में सुख जाते हो तो अपनी कमाई का 25 से 30% बचाने का कोशिश करो, आज पैसा अच्छा काम करके भी पैसे का हाहाकार मचा हुआ है, लोग पैसे की कमी से दुखी हैं परेशान है टेंशन है उनको कई प्रकार से बीमारियां हो जा रही हैं.
मित्रों सादा जीवन और उच्च विचार ही जीवन का आदर्श है. जो लोग अपने खर्चों में कटौती करके अपने कमाई के अनुसार खर्च करते हैं धीरे-धीरे उनको सादा जीवन की आदत पड़ जाती है और उनको इस में सुख मिलने लगता है और समय के साथ उनके बचाए हुए पैसे उनके पास रहते हैं जिससे वह जीवन में कभी भी कोई भी भौतिक सुख प्राप्त कर सकता है.
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