इस ब्लॉग में हम लोग जाएंगे कि हरीत क्रांति क्या है और उसका प्रभाव (harit kranti), उसके लाभ और उसके नुकसान, क्या आज के समय में भी हरित क्रांति की आवश्यकता है इस बात को भी हम जानेंगे.
हरित क्रांति क्यों लाया गया?
दूसरा विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद, जापान पूरे तरीके से बिखर चुका था बिखरे जापान को खड़ा करने के लिए अमेरिकी सेना में एक कृषि वैज्ञानिक से जिनका नाम एस सिलिल सेलमेन था, जिन्होंने विकास के लिए कृषि को आधार बनाया उन्होंने विभिन्न शोध और तकनीकी का प्रयोग करके एक विशेष प्रकार की गेहू की किस्म तैयार की जिसका दाना काफी बड़ा था.
उन्होंने इस गेहूं को अमेरिका भेजा जहां नॉर्मन बोरलग ने मेक्सिको की किस्म के साथ संकरित करके नई किस्म की खोज की, बाद उत्पादन में आश्चर्यजनक बढ़ोतरी की गई, इसमें विभिन्न चरणों तकनीकी आदि का उपयोग करके इसको हरित क्रांति का नाम दिया गया.
भारत में हरित क्रांति कैसे आया?
- भारत में 1940 से 1966 के बीच, खाद्यान्न की बहुत ज्यादा समस्या थी, भारत के आजादी के बाद पश्चिम बंगाल में भीषण अकाल पड़ा जिसके कारण लाखों लोगों की मौत हो गई, लोगों को भरपेट अनाज नहीं मिलता था खाने की समस्या बहुत ही विकराल थी.
- भारत सरकार ने पंचवर्षीय योजना के आधार पर कृषि का उत्पाद बनाने के लिए पूरे तरीके से पंचवर्षीय योजना के पहले कार्यकाल में किसानों को भरपूर सहयोग प्रदान किया, भारत में 1963 में जब अपनी विकसित गेहूं की किस्म को लेकर बोरवेल भारत आए तब उनकी मुलाकात डॉ एमएस स्वामीनाथन से हुई, इस समय भारत सूखे की संकट से जूझ रहा था, इन दोनों ने मिलकर पूसा कृषि संस्थान में कार्य किया.
- उस समय भारत के कृषि मंत्री सी सुब्रमण्यम थे, इन्होंने गेहूं की नई किस्म 18000 टन बीच आयात किए और कृषि क्षेत्र में सुधार लागू किए, इन कृषि मंत्री ने बहुत ज्यादा योगदान दिया, कृषि विज्ञान केंद्र को जानकारी दी गई सिंचाई के लिए नेहरे बनवाई गई हुए भी खुद बाय गए किसानों को दामों की गारंटी दी गई अनाजों को सुरक्षित करने के लिए गोदाम बनवाए गए. सबसे पहले नए बीजों का परीक्षण उत्तर प्रदेश में किया गया.
- इस समय भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के और उन्होंने भी गेहूं के बीजों के आयात के लिए बहुत जोर दिया और बहुत सहयोग प्रदान किया, जुलाई 1968 में जब श्रीमती इंदिरा गांधी ने भी गेहूं के क्रांति के लिए बहुत से आयोजन किए.
- भारत सरकार ने किसानों से यह वादा किया कि जितना भी उत्पादन होगा वह सभी उत्पादन सरकार खरीद लेगी..
- हरित क्रांति में देश में सिंचाई के योग्य और जो सिंचाई के योग्य नहीं थे उनको भी खेती के लिए अलग-अलग सुविधा प्रदान किए गए और आधुनिक तकनीकी का प्रयोग पर ध्यान दिया गया जिससे थोड़े ही समय में कृषि की पैदावार में बहुत वृद्धि हुई और देश में खाद्यान्न समस्या दूर होगी और अकाल और भुखमरी जैसी चीज देश से देश को राहत मिली.
हरित क्रांति क्या है?
विश्व भर में भोजन मनुष्य की प्रथम आवश्यकता है और इस समस्या को दूर करने के लिए, कृषि उत्पादन में जो बदलाव किए गए जिसके कारण उत्पादन बहुत ज्यादा बढ़ गया और आज सभी को भोजन की प्राप्ति हो जाती है, वैज्ञानिक और आधुनिक उपाय से जो खाद्यान्न की समस्या दूर की गई उसे हम हरित क्रांति कहते हैं, हरित क्रांति का सीधे कृषि उत्पादन से हैं जिससे कृषि का उत्पादन बढ़े जिसमें मुख्य उत्पादन अनाज है.
हरित क्रांति को बढ़ाने के लिए उपयोग में किए जाने वाले मुख्य उपाय
सिंचाई एवं पौधे का संरक्षण
पहली पंचवर्षीय योजना के अनुसार सिंचाई और पौधे के संरक्षण में बहुत ज्यादा ध्यान दिया गया 1951 में देश की कुल सिंचाई क्षमता जितनी थी उससे 5 गुना बढ़ गई सन 2008 से लेकर 2009 के आते-आते
मोदी के संरक्षण पर भी विशेष ध्यान दिया गया इसके उपरांत खरपतवार की टो का नाश करने के लिए दवा का छिड़काव और इसमें कृषि नियंत्रण कानून लाया गया जो किसानों के लिए हित में था
उन्नतशील बीजों का इस्तेमाल
कृषि उपज को बनाने के लिए देश में अधिक से अधिक अच्छे से अच्छे उन्नतशील बीजों का इस्तेमाल होने लगा और नई नई किस्मों की खोज की जाने लगी जिससे धान गेहूं ज्वार मक्का बाजरा आदि का उत्पादन बढ़ गया इसमें गेहूं पर विशेष ध्यान दिया गया और समय के साथ धान की किस्में पर भी विशेष प्रकार के रिसर्च किए गए जिससे धान की पैदावार भी बहुत ज्यादा बढ़ गई जैसे जिस बंगाल में 1966 में भयंकर अकाल कब पड़ा था आज वहां धान की खेती सबसे ज्यादा हो रही है
एक साथ कई फसलों का उत्पादन
इसमें मिक्स करके एक ही खेती में एक ही समय में अलग-अलग उत्पादन पर भी जोर दिया गया इसमें बताया गया कि गेहूं के साथ-साथ मटर सरसों आदि का भी उत्पादन संभव है जैसे एक ही खेत में गेहूं और सरसों दोनों हो जाएगा, इस प्रकार एक साथ एक ही क्षेत्र में कई प्रकार की फसलें उत्पादन पर भी प्रैक्टिकल किया गया और यह सफल रहा
आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग
आधुनिक कृषि यंत्र ट्रेक्टर बिजली से चलने वाले मोटर आदि का इस्तेमाल पर भी इसमें बहुत ज्यादा जोर दिया गया और सरकार ने इसको खरीदने के लिए सब्सिडी भी प्रदान की जिससे किसान इसको खरीद सके और आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग कर सके, आज भी सरकार जो किसानों को सब्सिडी देती है वह हरित क्रांति के समय से चलती आ रही है
रसायनिक उर्वरक का प्रयोग
रासायनिक उर्वरक पर भी बहुत ज्यादा जोर दिया गया सरकार द्वारा क्योंकि सरकार का मुख्य उद्देश्य इस देश के लोगों को भोजन उपलब्ध कराना था और किसी भी कीमत पर भुखमरी की समस्या को दूर करना था भूखमरी एक बहुत ही विकराल और विकट समस्या थी जिससे हमारे देश की राजनीतिज्ञ और बुद्धिजीवी बहुत दुखी थे वह किसी भी कीमत पर चाहते थे कि हमारे देश के लोगों का पेट भरे और कोई भी भारतीय भूखा ना सोए, उस समय जो लोग बड़े-बड़े पोस्ट पर थे उन्होंने सोचा यदि पारंपरिक खाद का उपयोग करेंगे तब बहुत लेट हो जाएगा और कम समय में भुखमरी की समस्या दूर नहीं होगी.
रासायनिक खादों का प्रयोग पर जोर दिया गया इसका प्रचार और प्रसार किया और इससे उत्पादन भी बहुत ज्यादा बढ़ गया और जैसा कि हम सब जानते हैं आज हम सब को भोजन मिल जाता है.
कृषि केंद्र तथा गोदामों का निर्माण
इसमें कृषि सेवा केंद्र की स्थापना की गई पूरे देश में और जगह-जगह किस में विशेषज्ञों की भर्ती ली गई, और इसमें विशेषज्ञों को ट्रेनिंग देकर जगह-जगह गांव में भेजा गया, विशेषज्ञ गांव में जगह-जगह जाकर लोगों को नई-नई कृषि प्रणाली के बारे में बताते थे और जगह-जगह कैंप लगाकर लोगों को समझाते थे, जैसा कि आज के समय में कृषि संबंधी हेल्पलाइन सेवा भी लागू की गई है.कृषि उत्पादों को बचाने के लिए गोदाम आदि की व्यवस्था की गई,
कृषि संबंधी शिक्षा
भारत की आजादी के पहले कृषि संबंधी शिक्षा पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाता था लेकिन जब हमारा भारत देश आजाद हुआ तो हमारे, वैज्ञानिक और नेताओं ने मिलकर कृषि संबंधी शिक्षा पर बहुत ज्यादा जोर दिया क्योंकि उनका उद्देश्य था कृषि वैज्ञानिक तैयार करना जो एक्सपर्ट बनकर किसानों को समझा सके और उन्हें कृषि संबंधित हर प्रकार की समस्या के लिए तैयार कर सकें.
जैसे एक सैनिक देश की रक्षा के लिए तैयार किया जाता है उसी प्रकार उस समय कृषि वैज्ञानिकों को देश में कृषि के रक्षा के लिए और किसानों को उचित मार्गदर्शन के लिए कृषि संबंधी शिक्षा पर जोर दिया गया, इसमें सरकार ने कृषि वैज्ञानिकों के लिए सरकारी पद प्रतिष्ठा वाले मान सम्मान पदवी प्रदान किए जिससे लोग इस कार्य क्षेत्र में आगे आए
बीजों का भंडारण
बीजों के भंडारण और सुरक्षा के लिए विशेष प्रकार के गोदामों की व्यवस्था की गई जिसकी सुरक्षा सरकार आज भी करती है और यह हरित क्रांति के समय से चालू की गई थी, और सरकार अपने स्तर पर नए-नए बीजों को पर शोध करते रहती है और उसके अनुसार उस बीजों को किसानों को उचित मूल्य पर प्रदान करती है
सब्सिडी
किसानों को बिजली में और कृषि यंत्रों के खरीदने में और कृषि संबंधी लोन के लिए विशेष प्रकार की सब्सिडी दी गई और कम ब्याज में लोन की व्यवस्था की गई जिससे किसान कृषि कार्य को कर सकें
भारत में हरित क्रांति के सकारात्मक प्रभाव
- हरित क्रांति के फलस्वरूप भारत एक कृषि प्रधान देश बन गया और संसार के प्रमुख कृषि प्रधान देशों में भारत का स्थान आ गया है.
- इसमें किसानों के आत्मविश्वास में भी बहुत वृद्धि हुई क्योंकि अब पर्याप्त उत्पादन हो जाता था जिससे सभी को भोजन प्राप्त हो जाता था.
- भारत आत्मनिर्भर हो गया और खाद्यान्न के लिए विदेशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ा.
- इसमें किसानों की उनकी इनकम बढ़ गई, और किसी एक बिजनेस के रूप में सामने आया.
- हरित क्रांति के फलस्वरूप कृषि को एक औद्योगिक विकास के रूप में लाया गया जिसमें आधुनिक कृषि यंत्रों का निर्माण रासायनिक उर्वरक का निर्माण कीटनाशक आदि का उत्पादन किया गया इससे लोगों को रोजगार मिला.
- कृषि को एक उद्योग के रूप में लेने पर स्थानीय निवासियों को रोजगार मिला है.
- हरित क्रांति का सबसे बड़ा प्रभाव यह है कि आज देश के हर व्यक्ति को भरपेट अनाज मिल जाता है आज के समय में सुनने में यह लगता है, यह तो छोटी मोटी बात है लेकिन देश की आजादी के समय यह स्थिति नहीं थी उस समय पेट भर भोजन मिलना एक बहुत बड़ी बात थी.
हरित क्रांति के नकारात्मक प्रभाव
पारंपरिक अनाजों का लॉक होना
हरित क्रांति से पहले जो पारंपरिक अनाज थे अब वह लगभग लुप्त हो चुके हैं या उसको अब खोज पाना मुश्किल है, इसमें मोटे अनाज लगभग लुप्त हो गए हैं, जबकि भारत सरकार जितने भी प्रकार के अनाज आदि हैं उनके बीजों को संरक्षण में रखती हैं, फिर भी हर प्रकार के फसल आज बदल गए हैं.
हरित क्रांति में केवल अनाज पर ही ध्यान दिया गया जबकि दाल और तिलहन को क्रांति से बाहर रखा गया
क्षेत्रीय असमानता
कृषि क्षेत्र में औद्योगिक क्रांति ने क्षेत्रीय असमानता को जन्म दिया जो राज्य ज्यादा संपन्न के वह लोग कृषि औद्योगिक क्रांति में ज्यादा आगे बढ़े, आदिवासी क्षेत्रों तक आधुनिक कृषि बहुत लेट से पहुंचा
रसायनिक खादो का अत्यधिक प्रयोग
भारत के आजादी के समय पेट भर में एक बहुत बड़ी समस्या थी इसलिए रासायनिक खादों का बहुत ज्यादा प्रयोग किया गया और समय के साथ इन रासायनिक खादों का प्रयोग बढ़ता गया, जिससे हमारे खाद्यान्न की क्वालिटी में गिरावट आते गई, और समय के साथ इसकी पौष्टिकता में भी कमी आ गई, रासायनिक खादों ने अनाज को कमजोर कर दिया, और कमजोर अनाज को खाकर मनुष्य को भी बहुत प्रकार की परेशानी उठानी पड़ी, जैसा कि हम लोग देखते हैं आजकल बहुत प्रकार की बीमारियां आती जा रही हैं
रासायनिक खाद के अधिक प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता में कमी आई है क्योंकि रासायनिक खाद के प्रयोग से मिट्टी खराब होती जाती है
रासायनिक खाद पानी में मिलकर पानी को भी दूषित करते हैं और उस पानी में रहने वाली मछलियां और मछली को खाने वाले पक्षी इसी तरह सभी को नुकसान हुआ है
पानी की खपत
हरित क्रांति में सिंचाई के साधन तो लाए गए लेकिन समय के साथ पानी की समस्या को कैसे दूर किया जाए या पानी को कैसे बचाया जाए इस पर ध्यान नहीं दिया गया जिसके कारण पानी का अंधाधुंध प्रयोग हुआ जिसके कारण पानी की समस्या उत्पन्न हुई.
स्वास्थ्य पर प्रभाव
रासायनिक खाद और कीटनाशकों से बड़े पैमाने पर बहुत प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हुई, और इसमें बहुत प्रकार के पक्षी भी मारे गए, क्योंकि बीजों के साथ पक्षी खाद को भी खा जाते थे, आज हमारे अनाजों में रासायनिक खाद घूल गया है, और वह हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल रहा है
निष्कर्ष
भारत की आजादी के समय भुखमरी एक बहुत बड़ी समस्या थी यह देश की प्रमुख समस्या में सबसे बड़ी समस्या थी उस समय किसी भी कीमत पर हमारे देश के नेता और जो बड़े पदों पर लोग बैठे थे वह किसी भी कीमत पर हमारे देश की जनता को भरपेट अनाज प्रदान करना चाहते थे इसके लिए उन्होंने युद्ध स्तर पर काम किया और हरित क्रांति को लाया जिसके परसों पास भी लोगों को भरपेट अनाज आसानी से मिल जाता है
लेकिन समय के साथ अब रासायनिक खादों को छोड़कर जैविक खेती को अपनाना चाहिए जिससे फसलों की गुणवत्ता में सुधार हो और लोगों का स्वास्थ्य भी ठीक हो
कृषि को एक उद्योग के रूप में स्थापित करना चाहिए जिससे आज नए-नए लोग कृषि को उद्योग के रूप में स्थापित करें और कृषि एक बिजनेस का रूप ले ले
कृषि संबंधी शिक्षा की व्यवस्था तो भारत में अच्छे से हैं लेकिन कृषि संबंधी शिक्षा पर और भी ज्यादा जोर दिया जाना चाहिए जिससे हर व्यक्ति कृषि के संबंध में जान सके
भारत में कृषि क्रांति का जनक किसे कहा जाता है?
श्री एस स्वामीनाथन को
विश्व में हरित क्रांति का जनक किसे कहा जाता है?
श्री नॉर्मन बोरलग को
सबसे पहले बीजों का प्रयोग कहां किया गया?
उत्तर प्रदेश में
कृषि क्रांति के समय कृषि मंत्री?
Shree सी सुब्रमण्यम
हरित क्रांति के समय पहले प्रधान मंत्री?
श्री मान लाल बहादुर शास्त्री, इनके बाद श्री मति इंदिरा गाँधी ने भी हरित क्रांति में जोर दिया।
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