भगवान गणेश प्रथम पूज्य क्यों हैं और उसका रहस्य क्या है

                                   ओम गं गणपतये नमः

मित्रों नमस्कार आपका pathgyan ब्लॉग पर स्वागत है, इस ब्लॉग पर हम जानेंगे कि भगवान गणेश प्रथम पूज्य क्यों हैं और उसका रहस्य क्या है, आपको इंटरनेट में बहुत सारी जानकारी मिल जाएंगे कि भगवान गणेश किस कारण प्रथम पूज्य हैं, भगवान गणेश के प्रथम पूज्य होने की जानकारी पुस्तकों किताब और पत्रिकाओं में भी मिल जाती है. यह सब जानकारी भी भगवान गणेश की योग्यता के बारे में दर्शाती हैं.

निश्चित ही भगवान गणेश की योग्यता ही उन्हें प्रथम पूज्य बनाती है लेकिन, उनके प्रथम पूज्य होने का एक और विशेष कारण है जो बहुत ही महत्वपूर्ण है, इसको जानने से पहले एक छोटी सी कहानी जानना जरूरी है.

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पहले जानिए भगवान गणेश कौन है?

इसके संबंध में लिखा जाए तो यह लेख बहुत ही लंबा हो जाएगा, लेकिन यहां शॉर्टकट में इस प्रकार समझ सकते है कि निराकार परमेश्वर ही हर जगह भिन्न-भिन्न रूपों में व्याप्त है, और वह लीला कर रहे हैं.

माता पार्वती ने पुत्र प्राप्ति के लिए भगवान कृष्ण की आराधना की, माता पार्वती के कठिन तपस्या को देखकर भगवान कृष्ण  प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान देने के लिए आए, माता पार्वती ने उनसे पुत्र प्राप्ति का वरदान मांगा, भगवान कृष्ण ने कहा कि ठीक है मेरा ही अंश आपके पुत्र के रूप में आएगा, इस प्रकार भगवान गणेश बनकर भगवान कृष्ण उनके पुत्र के रूप में आए, और एक बालक के रूप में लीला करने लगे, लीला का अर्थ है जानबूझकर किया जाने वाला काम, जैसे एक पिता अपने बच्चों के लिए घोड़ा बन जाता है और उसे अपने पीठ पर बैठा लेता है, इसी को लीला कहा जाता है जानबूझकर काम करना है, जो संसार के भलाई के लिए हो.

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जानिए भगवान गणेश का हाथी का सिर क्यों है

जब भगवान गणेश जी स्वयं भगवान कृष्ण के अंश हैं तो उनका हाथी का सिर क्यों है, इस संबंध में एक छोटी सी कथा है, एक बहुत बड़ा भगवान शिव जी का भक्त था, उसे कुछ गलती के कारण हाथी बनने का श्राप एक ऋषि ने दे दिया, अब वह जंगल में रहा करता था लेकिन उसे पूर्व जन्म की याद थी, उस हाथी ने ओमकार स्वरूप निराकार परमपिता परमेश्वर का बहुत कठिन तपस्या किया, ऐसा कठिन तपस्या जिसमें कई हजारों साल का समय लग जाए, इस समय में बहुत से देवता आए वरदान देने के लिए, लेकिन उन्होंने कोई वरदान नहीं लिया, इस प्रकार ब्रह्मा विष्णु और महेश आते गए वरदान देने के लिए लेकिन उन्होंने कोई वरदान नहीं लिया.

इस अनंत ब्रह्मांड में अनंत ब्रह्मा विष्णु और महेश है, भगवान का निराकार रूप ही हर पृथ्वी पर ब्रह्मा विष्णु और महेश के रुप में है इसके बारे में जानकारी हम दूसरे लेख में पड़ेंगे.

अब निराकार परमेश्वर शिव जी के रूप में, महाविष्णु के रूप में और ब्रह्म के रूप में इन तीन रूपों में उस हाथी के पास प्रकट हुए, परमेश्वर के प्रकट रूप को आप एक माने या तीन दोनों एक ही है, फिर भगवान शिव जी ने बहुत प्रकार से वरदान का प्रलोभन दिया, फिर भगवान शिव जी ने कहा कि आप ही अपनी इच्छा बताइए.

उस हाथी ने कहा कि मुझे इस संसार का सबसे ज्ञानी व्यक्ति बना दीजिए, सभी गुणों से संपन्न बना दीजिए, भगवान शिवजी सदा मेरे पेट में निवास करें, यह बहुत ही अलग प्रकार का वरदान था, बाकी भगवान की लीला तो भगवान ही जाने, भगवान शिव जी ने कहा ठीक है ऐसा ही होगा लेकिन कुछ समय इंतजार करना पड़ेगा, इस प्रकार वरदान देकर भगवान शिवजी चले गए.

समय आने पर जब भगवान कृष्ण माता पार्वती के पुत्र के रूप में प्रकट हुए, उस समय भगवान ने लीला करते हुए, गणेश जी का सिर काट दिया, शिव जी द्वारा गणेश जी का सिर काटने की कहानी तो सबको पता है, लेकिन सिर काटने का यही रहस्य था, जब गणेश जी का सर कटा, उस समय उस सर की जगह उस हाथी के सिर को लगाया गया, जिसके कारण भगवान का वरदान पूरा हो गया, और माता पार्वती को अपना पुत्र भी मिल गया जो भगवान कृष्ण जी के अंश हैं.

 

प्रथम पूज्य भगवान गणेश को माता पार्वती ने शिक्षा दी

जब भगवान गणेश छोटे से बालक थे, उस समय एक बिल्ली कुछ नटखट पन कर रही थी तब भगवान गणेश जी ने बिल्ली को पकड़कर थोड़ा सा परेशान कर दिया है और पानी में डुबो दिया, बिल्ली परेशान हो कर चली गई, जब गणेश जी माता पार्वती के पास आते माता पार्वती ठीक नहीं थी.

गणेश जी ने पूछा कि ऐसा कैसे हो गया तब माता पार्वती ने कहा पुत्र तुमने ही तो ऐसे किया है, क्योंकि इस संसार में जितने भी स्त्रियां है उसके अंदर मैं ही तो हूं, इस प्रकार माता पार्वती ने भगवान गणेश को ज्ञान दिया कि हर स्त्री में वह स्वयं निवास करती है, भगवान गणेश जी ने माता पार्वती से क्षमा मांगी.

मित्रों यह तो भगवान की लीला है संसार को शिक्षा देने के लिए, इसमें गणेश जी की गलती नहीं उनकी लीला है

 

अब जानिए भगवान गणेश प्रथम पूज्य क्यों हैं और उसका रहस्य क्या है.

जब माता पार्वती ने भगवान गणेश को शिक्षा दी, कि हर स्त्री में मैं ही वास करती हूं, इस शिक्षा को ग्रहण करने के बाद भगवान गणेश माता के परम भक्त बन गए, और संपूर्ण स्त्री में उन्हीं का रूप देखने लगे, समय के अनुसार जब भगवान गणेश की शादी हुई, तब भगवान गणेश जी ने ऐसा विचार किया, जिस स्त्री से शादी हुई है, उनमे भी तो माता का ही अंश है, क्या माता से शादी हो रही है?

इस प्रकार महान मात्रु भाव रखने के कारण, माता रिद्धि और सिद्धि से शादी करने के बाद भी, भगवान गणेश जी ने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया, आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करने के कारण ही भगवान गणेश प्रथम पूज्य  है और यही उनकी प्रथम पूज्य होने का बहुत बड़ा कारण है

मित्रों अब आप बोलोगे ऐसा कैसे हो सकता है, यह ज्ञान कहां से मिला किस पुस्तक से लिया गया, मित्रों यह ज्ञान हमारे ऋषि मुनि और संन्यासियों का है, इस रहस्य की जानकारी भगवान रामकृष्ण परमहंस ने विवेकानंद जी को दिया था.

 

यदि भगवान गणेश ब्रह्मचारी है तो उनके बच्चे कैसे हैं

मित्रों हमारा सनातन धर्म बहुत ही महान और बड़ा है, इसको समझने के लिए कठिन तपस्या और भक्ति चाहिए, संतान की उत्पत्ति केवल स्त्री और पुरुष के मिलने से ही नहीं होती, केवल तपस्या के बल पर ही स्त्री और पुरुष माता पिता बन सकते हैं, इसका एक छोटा सा उदाहरण, महाभारत में देवी कुंती को ले लीजिए, उन्होंने पांच पुत्र पांच देवताओं के आवाहन करने के कारण प्राप्त किए थे.

जैसे नर और नारायण ने अपनी जंघा से उर्वशी को प्रकट किया था, भगवान शिव जी के पसीने से माता नर्मदा प्रकट हुई, अग्नि में डाली हुई घी भगवान को प्राप्त हो जाती है, इस प्रकार बहुत से उदाहरण दिया जा सकता है.

मित्रों इस प्रकार भगवान गणेश प्रथम पूज्य हुए और उनके प्रथम पूज्य होने का यही रहस्य है.

 

निष्कर्ष

मित्रों अब आप बोलोगे, कि क्या आज भी ब्रह्मचारी रहने के बाद भी संतान की प्राप्ति हो सकती है, मित्रों आज के आधुनिक समय में यदि मै इस बात पर कहूं तो लोग हसेंगे, हां मित्रों यह संभव है लेकिन यह केवल तपस्या के द्वारा ही हो सकता है जब व्यक्ति अपने पूर्ण रूप को प्राप्त कर ले, परमेश्वर के पूर्ण अंश के दो भाग हो गए, इसमें एक भाग स्त्री है और एक भाग पुरुष, यदि तपस्या के द्वारा एक स्त्री या पुरुष अपने अंश की प्राप्ति करके पूर्ण हो जाए, तब ऐसा संभव है, स्त्री या पुरुष तपस्या के द्वारा भी ऐसा कर सकते हैं

 

मित्रों इसकी विधि बता पाना अत्यंत कठिन कार्य है, कलयुग में यह तो और भी कठिन है, जैसी गूंगे की स्वाद की तरह, गूंगा खाकर कोई स्वाद नहीं बता सकता, उसी प्रकार इस विधि को एक तपस्वी ही समझ सकता है या जान सकता है या इसको प्रयोग में लाया जा सकता है.

यदि आपको जानकारी सही लगी तो इसे शेयर कीजिए, जिससे लोगों को भगवान गणेश जी के प्रथम पूज्य होने का वास्तविक कारण का पता लग सके. इस लेख को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद

गणेश जी का सबसे प्रिय मंत्र कौन सा है

भगवान सब से खुश हो जाते हैं, लेकिन एक भगवान गणेश के भक्त के अनुसार, जिसने भगवान गणेश का साधना बहुत वर्षों तक किया, भगवान गणेश ने उनको कहा था ओम गं गणपतये नमः जाप करके साधना कीजिए और करने की पूरी विधि विधान बताई थी.

 

 

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