मन के यंत्र की रचना किस प्रकार काम करती है जानिए

मन के यंत्र की रचना किस प्रकार काम करती है जानिए,अगर आप अपने मन को ठीक ढंग से कम मिलकर उसका पूरा-पूरा लाभ उठाना चाहते हैं तब मन  का परिचय प्राप्त करें और वह कैसे काम करता है इसको आगे जानिए इसको अच्छे से समझते हैं.

 

मन के यंत्र की रचना किस प्रकार काम करती है जानिए
मन के यंत्र की रचना किस प्रकार काम करती है जानिए

 

 

मन के यंत्र की रचना किस प्रकार काम करती है जानिए।

मोटरकार का उदाहरण
जैसा कि आप सभी ने मोटर कार को चलते हुए देखा है और आप सभी जानते हैं कि इसमें सभी कल पुर्जे अच्छे से काम करते हैं, तभी ये चलती है,  मोटर कार की बनावट इसका शक्तिशाली इंजन और उसके कार्य करने की क्षमता जितना शक्तिशाली इंजन रहता है उतनी ही मोटर कार की क्षमता बढ़ जाती है और उसे कंट्रोल करने की क्षमता भी इंजन के साथ बढ़ाई जाती है, और कितना भी शक्तिशाली मोटर क्यों ना हो उसका चालक अच्छे से होना चाहिए कहने का मतलब मोटर कर का ड्राइवर अच्छे से होना चाहिए तभी वह उसे कंट्रोल कर पाएगा इसी तरह आपको अपने मन को नियंत्रण में रखकर इसकी गति को बढ़ा सकते हैं

मानव की मन की शक्तियों को हम एक मोटर के इंजन की तरह ले सकते हैं जो मनुष्य के शरीर को संचालित करता है अब आप समझ गए हैं कि मन कितना शक्तिशाली है.

जन्म से ही हर व्यक्ति की मानसिक शक्तियों अलग-अलग प्रकार से पाई जाती हैं, ऐसा कोई जरूरी नहीं है की जन्म से ही कोई बहुत ज्यादा तेज बुद्धि का हो तब वही सफलता प्राप्त करेगा यह व्यक्ति के मन के ऊपर निर्भर करता है कि व्यक्ति अपने मन को कैसे कंट्रोल में करके अपने बुद्धि का प्रयोग करता है उसी प्रकार सफलता का निर्माण होता है.

आप सभी का खरगोश और कछुआ की कहानी को जानते होंगे इसी प्रकार तेज बुद्धि वाले लोग बहुत बार सफलता नहीं प्राप्त कर पाते और जिनकी बुद्धि कम है वह लोग भी समाज में बड़े-बड़े कार्य कर दिखाते हैं अपनी इच्छा शक्ति के बल पर.

जैसे कि सभी को आराम करने की इच्छा और समाज में नाम करने की इच्छा होती है और व्यक्ति उसी के लिए कार्य में लगा रहता है.

मनुष्य की इच्छा शक्ति से ही वह मन में भावना उत्पन्न होती है जिससे वह कार्य को संपादित कर पता है इसी के द्वारा वह अपनी इस पूर्ति के साथ शक्ति को कार्य के रूप में लेता है

बहुत से व्यक्ति जिनका तेज मस्तिष्क का है इच्छा शक्ति के अभाव में जिंदगी में कुछ नहीं कर पाते और यह सोचते रहते हैं कि ऐसे कौन सी गलती होती रहती है.

मन की शक्ति को पूर्ण कार्य रूप में लेने के लिए भावना इच्छा शक्ति बुद्धि संकल्प आदि को एक ही रूप में एक ही दिशा में कार्य के रूप में मुड़ना पड़ता है तब जाकर के सफलता जीवन में आसान हो जाती है जैसे आप किसी पुस्तक को पसंद करते हैं तब उसको अच्छे से पढ़ लेते हैं और उसको पढ़ने में कोई भी परेशानी नहीं आती.

आपने बहुत बार देखा होगा की बहुत से विद्यार्थी जो बहुत तेज बुद्धि के हैं वह लोग इधर-उधर अपने समय बर्बाद कर देते हैं और पढ़ाई लिखाई नहीं करते और उसका नंबर काम आता है दूसरी तरफ ऐसे विद्यार्थी हैं जो दिन भर पढ़कर ज्यादा नंबर लाते हैं जबकि जो विद्यार्थी कम नंबर ले हैं वह अगर इतना पढ़ ले तो उसे भी ज्यादा नंबर ला ले.

इससे आप समझ सकते हैं कि जो तेज बुद्धि के विद्यार्थी हैं वह भी कम नंबर लाते हैं इच्छा शक्ति के अभाव में और जिनकी बुद्धि समान है वह तेज बुद्धि वालों से भी ज्यादा नंबर लाते हैं क्योंकि उनकी इच्छा शक्ति ज्यादा रहती है और वह पढ़ाई करते हैं और मेहनत करते हैं.

इसी तरह जो सोच और इच्छा शक्ति है वह मानसिक शक्तियों का कार्य संचालन करती है जिस प्रकार व्यक्ति क्रोध में रहता है तो उसका मानसिक संतुलन अलग प्रकार से काम करता है सुख में अलग प्रकार से इसी प्रकार भावना या शक्ति है जो व्यक्ति के मस्तिष्क के कार्यों को संचालित करती है.

यहां पर सारांश में यदि कहा जाए तो मन को कंट्रोल करके ही मन के द्वारा जो आदेश दिया जाता है वह बुद्धि तक पहुंचता है और बुद्धि उस कार्य को करती है यहां तक के कई बार आपने देखा होगा कि मन अच्छा रहने पर स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है जबकि सभी का दिमाग पूर्ण रूप से स्वस्थ है फिर भी सभी के स्वास्थ्य में अंतर पाया जाता है क्योंकि मन का आदेश जो रहता है उसी प्रकार से बुद्धि शरीर के कार्यों को संचालित करती है.

 

 

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