आयुर्वेदिक उपचार मिरगी (mirgi ka upchar)

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आयुर्वेदिक उपचार मिरगी (mirgi ka upchar)
आयुर्वेदिक उपचार मिरगी (mirgi ka upchar)

 

आयुर्वेदिक उपचार मिरगी (mirgi ka upchar)

स्नायु सम्बन्धी रोग में मिर्गी सबसे ज्यादा भयानक रोग माना जाता है,इसका दौरा कभी भी और कही भी पड़ सकता है। इसके रोगी को आग, कुए, तालाब, नदी, पुल, रेलवे लाईन, बीच सड़क पर अकेले नहीं जाने देना चाहिए तथा किसी भी कीस्म की गाडी नहीं चलाने देना चाहिए। इस रोग में निम्न उपाय अधिक करना लाभदायक होता है

1 चमच्च प्याज का रस सुबह के समय थोड़ा-सा पानी मिलाकर पीने से मिरगी का दौरा बंद हो जाता है। सवा महीने तक प्याज का रस अवश्य लेना चाहिए। यदि रोगी को दौरा पड़ा हो, तो प्याज का रस नथूनों पर लगा देने से वो होश में आ जाता है।

लहसुन को कुटकर सुँघाने से मिरगी के रोगी को होश आ जाता है। यदि रोजाना लहसुन की ८-१० कलियाँ दूध में उबालकर, वह दूध रोगी को पिलाया जाए, तो कुछ सप्ताह में ही मिरगी का रोग दूर हो जाता है।

करौंदे के 25-30 पत्ते छाछ में पीसकर दो सप्ताह नित्य सेवन करने से मिरगी का दौरा पड़ना बंद हो जाता है। मिरगी के रोगी को एक पाव दूध में चौथाई कप मेंहदी का रस मिलाकर पिलाने से बहुत लाभ होता है।

राई को पीसकर सूंघने से मिर्गी के रोगी को बेहोशी टुट जाती है।

मुट्ठी भर तुलसी की पत्तियों में ४-६ कपूर की टिकिया मिलाकर रोगी को सुँघाएँ, लाभ होगा।

 

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